नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी जाने वाली कुष्मांडा माता कौन हैं?

नवरात्रि-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है।

जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब कुष्मांडा देवी ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी।

कुष्मांडा देवी का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है, जहाँ पर निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है।

कुष्मांडा देवी का शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।

कुष्मांडा देवी का तेज़ और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित होती हैं।

ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज़ कुष्मांडा माता की देन है।

कुष्मांडा माता के आठ हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा तथा जपमाला है।

कुष्मांडा देवी माँ का वाहन शेर है।

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