शिवलिंग और ज्योर्तिलिंग में क्या अंतर है?
Deepak Kumar Saini - Vastu, Geopathy Coach & Expert
दोस्तों आज हम आपको बताएँगे कि शिवलिंग और ज्योर्तिलिंग में क्या अंतर होता है?
शिवलिंग और ज्योर्तिलिंग
शिवलिंग और ज्योर्तिलिंग
शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग का अर्थ है अनंत यानी कि जिसकी न कोई शुरुआत हुई हो और न ही कभी कोई अंत हुआ हो।
शिवलिंग का अर्थ
शिवलिंग का अर्थ
शिवलिंग को भगवान शिव जी और माता पार्वती जी का आदि और अनादि एकल रूप माना जाता है।
एकल रूप
एकल रूप
शिवलिंग के ऊपर का हिस्सा भगवान शिव जी का प्रतिक होता है और नीचे का हिस्सा माता पार्वती जी का प्रतिक होता है।
शिव का प्रतिक
शिव का प्रतिक
जैसे अन्य देवी-देवताओं की पूजा के लिए किसी पंडित या पुजारी की आवश्कता होती है परंतु शिवलिंग की पूजा खुद से भी की जा सकती है।
देवी-देवताओं
देवी-देवताओं
मान्यताओं के अनुसार कोई भी साधारण व्यक्ति शिवलिंग की पूजा कर सकता है क्योंकि भगवान शिव जी किसी भी नियम में बँधे हुए नहीं है।
साधारण व्यक्ति
साधारण व्यक्ति
जैसे शिव जी सबके है और सब शिव जी के है तो कुछ शिवलिंग स्वयंभू स्थापित शिवलिंग होते है लेकिन अधिकतर शिवलिंग मानव द्वारा स्थापित होते है।
मानव द्वारा स्थापित
मानव द्वारा स्थापित
ज्योर्तिलिंग शिव का एक अवतार है और ज्योर्तिलिंग का अर्थ होता है ज्योति के रूप में भगवान शिव का प्रकट होना।
शिव का अवतार
शिव का अवतार
भगवान शिव जी ने जिस-जिस स्थान पर ज्योति के रूप में अवतार लिया और वहीं स्थापित हो गए तो उन स्थानों पर शिव जी खुद ज्योर्तिलिंग के रूप में विधमान हुए।
ज्योर्तिलिंग
ज्योर्तिलिंग
मान्यताओं के मुताबिक ज्योर्तिलिंग सिर्फ 12 हैं और उन 12 स्थानों पर ज्योति के रूप में भगवान शिव जी स्वयं प्रकट हुए हैं।
ज्योर्तिलिंग के 12 स्थान
ज्योर्तिलिंग के 12 स्थान
ज्योर्तिलिंग को भगवान शिव जी के रूप में पूजा जाता है क्योंकि ज्योर्तिलिंग भगवान शिव जी स्वयं हैं इसलिए ज्योर्तिलिंग की पूजा करने का विशेष प्रावधान है।
ज्योति को पूजा
ज्योति को पूजा
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