ग्रहण काल में भोजन क्यों नहीं करना चाहिए?

Deepak Kumar Saini -  Vastu & Geopathy Coach & Expert

दोस्तों आज हम आपको बताएँगे कि सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय भोजन क्यों नहीं करना चाहिए?

ग्रहण के समय

प्राचीन ऋषियों के अनुसार ग्रहण के दौरान खाद्य-पदार्थों तथा जल आदि में सूक्ष्म जीवाणु एकत्रित होकर इन सब चीज़ों को दूषित कर देते हैं।

सूक्ष्म जीवाणु

सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय सूक्ष्म जीवाणु एकत्रित हो कर जिन खाद्य-पदार्थों और जल को दूषित करते हैं उनका सेवन करने से विभिन्न प्रकार के रोग हो सकते हैं।

विभिन्न प्रकार के रोग

सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय कभी भी भोजन नहीं बनाना चाहिए तथा अगर भूल से बन गया है तो उसे फेंकना ही उचित माना जाता है।

भोजन

किसी भी ग्रहण काल के ख़त्म होने के बाद अच्छे से स्नान करने के बाद ही भोजन बनाना तथा खाना चाहिए।

स्नान करने के बाद

वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्रहण काल के समय मनुष्य की पाचन-शक्ति कमज़ोर   हो जाती है जिसके कारण भोजन करना अपच जैसे शिकायतें पैदा कर सकता है।

पाचन-शक्ति

तुलसी के पत्तों में विद्युत् तथा प्राण शक्ति सबसे अधिक होती है इसलिए ग्रहण काल का प्रभाव कम करने के लिए खाद्य-पदार्थों और जल में तुलसी के पत्ते डाले जाते हैं।

तुलसी के पत्ते

ग्रहण से पहले तुलसी के पत्ते न सिर्फ पके भोज्य-पदार्थों में बल्कि दाल, आटा और गेहूँ आदि में भी डालने से ग्रहण काल का प्रभाव खत्म हो जाता है।

ग्रहण काल का प्रभाव

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