Deepak Kumar Saini - Vastu, Geopathy Coach & Expert
दोस्तों आज हम आपको बताएँगे कि भगवान शिव जी गले में नाग क्यों धारण करते थे।
गले में नाग
गले में नाग
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव जी का न ही आदि है और न ही अंत।
हिंदू धर्म
हिंदू धर्म
भगवान शिव जी के स्वरूप अन्य देवी-देवताओं के भाँति थोड़ा भिन्न है क्योंकि शिव जी की जटाओं में गंगा, सर पर चंद्रमा, गले में साँप तथा हाथ में त्रिशूल और डमरू है।
भगवान शिव जी का स्वरूप
भगवान शिव जी का स्वरूप
पौराणिक कथाओं के अनुसार वासुकी नाग भगवान शिव जी के बहुत बड़े परम भक्त थे।
वासुकी नाग
वासुकी नाग
वासुकी नाग भगवान शिव जी की पूजा और भक्ति में हमेशा लीन रहते थे।
भक्ति
भक्ति
पौराणिक व प्रचिलित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय वासुकी नाग ने रस्सी का काम किया था।
समुद्र मंथन
समुद्र मंथन
भगवान शिव जी ने नागराज वासुकी की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें अपने पास रहे और अपने गले में लिपटे रहने का वरदान दिया था।
वरदान
वरदान
माना जाता है कि तभी से भगवान शिव जी ने अपने गले में वासुकी नाग को धारण किया था।