Deepak Kumar Saini B.E. (Civil) Vastu & Geopathy Expert
रक्षा बंधन भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
एक कथा के अनुसार आज से कई साल पहले बली नमक राजा ने देवताओं से युद्ध करके स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया था और ऐसे में उसका अहंकार चरम पर था।
राजा बली के अहंकार को चूर-चूर करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और ब्राह्मण के वेश में राजा बली के द्वार भिक्षा मांगने पहुँच गए।
राजा बली महान दानवीर थे तो उन्होंने वचन दे दिया कि आप जो भी मांगोगे मैं वह दे दूँगा तो भगवान ने बलि से भिक्षा में तीन पग भूमि की माँग ली।
बली ने तत्काल हाँ कर दी क्योंकि तीन पग ही भूमि तो देनी थी लेकिन तब भगवान वामन ने अपना विशाल रूप प्रकट किया और दो पग में सारा आकाश, पाताल और धरती को नाप लिया।
भगवान विष्णु ने फिर पूछा कि तीसरा पग कहाँ रखूँ तब बली ने कहा भगवान आप मेरे सिर पर रख लीजिए और फिर भगवान ने राजा बली को रसातल का राजा बनाकर उसे अमर होने का वरदान दिया।
राजा बली ने इस वरदान के साथ ही अपनी भक्ति के बल पर भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन भी ले लिया।
भगवान को वामनावतार के बाद माँ लक्ष्मी के पास वापस जाना था लेकिन भगवान ये वचन देकर फँस गए थे और वे वहीं रसातल में राजा बली के साथ रहने लगे।
माता लक्ष्मी चिंतित थी ऐसे में नारद जी ने लक्ष्मी जी को एक उपाय बताया, तब लक्ष्मी जी ने राजा बली को राखी बाँध अपना भाई बनाया और अपने पति को अपने साथ ले आईं।
जिस दिन माता लक्ष्मी ने राजा बली को अपना भाई मानते हुए राखी बाँधी थी उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी, तभी से लेकर आज तक रक्षा बंधन का त्यौहार बनाया जाता है।