नवरात्रि साल में 2 बार क्यों मनाते हैं?
Deepak Kumar Saini - B.E. (Civil) - Vastu & Geopathy Expert
नवरात्रि के पर्व में माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों की 9 दिन पूजा की जाती है जिसे भक्त उल्लास, उत्साह, श्रद्धा और आस्था के साथ मनाते हैं।
दोनों नवरात्रि में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धियात्री माताओं की पूजा की जाती है।
दोनों ही नवरात्रि मौसम में बदलाव लाते हैं और दोनों के पौराणिक महत्व व कारण बहुत अलग-अलग हैं।
मार्च व अप्रैल के नवरात्रों को चैत्र नवरात्रि और सितंबर व अक्टूबर के नवरात्रों को शरद नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।
चैत्र नवरात्रि सर्दी जाने और गर्मी आने का प्रतिक हैं वहीं शरद नवरात्रि गर्मी जाने और सर्दी आने का प्रतिक हैं।
चैत्र नवरात्रि से दिन बड़े व रातें छोटी होने लगती हैं वहीं शरद नवरात्रि से दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं।
चैत्र व शरद नवरात्रि में मौसम में बदलाव होता है इसलिए नवरात्रि में व्रत रखना और खाने-पीने में बदलाव करना भक्तों के लिए आसान हो जाता है।
शरद नवरात्रि में इन बातों का रखें विशेष ध्यान
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