मंदिरों में घंटा/घंटी क्यों होती है?
Deepak Kumar Saini B.E. (Civil) Vastu & Geopathy Expert
हमारी संस्कृति में हम जब कभी भगवान के दर्शन हेतु मंदिर में जाते हैं तब मुख्य मूर्ति के दर्शन के पूर्व घंटी बजाते हैं।
धार्मिक कारण यह है कि घंटी बजाने से दुष्ट प्रभावों को अपने से दूर रखने में मदद मिलती है और साथ ही यह नाद भगवान को अतिप्रिय है।
मंदिरों में लगी हुई घंटियाँ सुंदर शिल्प कला तथा पीतल, जस्ता, तांबा तथा कैडमियम जैसी धातुओं से बनी होती हैं।
मंदिर की घंटियों को ऐसा योग्य आकार दिया जाता है जिसे बजाने से हमेशा ॐ की ध्वनि उत्पन्न होती है।
जब हम मंदिर में घंटी सुनते हैं तो हमारे मस्तिष्क के दाएँ व बाएँ पिंडक में एक स्वरसंगति का निर्माण होता है।
मंदिर की घंटियों से निर्माण होने वाली ध्वनि 7 सेकंड तक मस्तिष्क में गूँजती है जो हमारे शरीर के सातों चक्रों को भी सक्रिय करती है।
मंदिर की घंटी की ध्वनि सुनने से मस्तिष्क में एक प्रकार के निर्वात का निर्माण होता है जो हमारी एकाग्रता शक्ति को बढ़ने में मदद करता है।
मंदिर में घंटी बजाने की ध्वनि के निर्माण से व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर अच्छा असर पड़ता है इसीलिए मंदिरों में घंटी होती है।
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