Deepak Kumar Saini - Vastu, Geopathy Coach & Expert
वास्तु शास्त्र प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो हमें हमारे जीवन के लिए सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है तथा वास्तुकला और भवन निर्माण के नियमों पर आधारित है।
भारतीय विज्ञान
भारतीय विज्ञान
वास्तु शास्त्र पांच प्रमुख तत्वों - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के संतुलन पर आधारित है और इन तत्वों का सही तालमेल सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
पांच प्रमुख तत्व
पांच प्रमुख तत्व
वास्तु शास्त्र का इतिहास हजारों साल पुराना है, जो वेदों और प्राचीन ग्रंथों में विस्तृत रूप से वर्णित है।
इतिहास
इतिहास
वास्तु शास्त्र का मुख्य उद्देश्य जीवन में सुख और समृद्धि को लाना है और यह जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे घर, कार्यस्थल और मंदिरों के निर्माण में ऊर्जा के सही प्रवाह को सुनिश्चित करता है।
मुख्य उद्देश्य
मुख्य उद्देश्य
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का अत्यधिक महत्व है उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम इन सभी दिशाओं के लिए अलग नियम होते हैं।
दिशाओं का महत्व
दिशाओं का महत्व
घर के प्रत्येक हिस्से के लिए वास्तु शास्त्र में अलग-अलग नियम हैं, जैसे कि रसोई, शयन कक्ष, पूजा कक्ष और शौचालय और सही दिशा तथा स्थान का चयन जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है।
घर का वास्तु
घर का वास्तु
कार्यालय में भी वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना जरूरी है क्योंकि सही दिशा में बैठने से व्यापार में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
कार्यालय वास्तु
कार्यालय वास्तु
वास्तु दोष तब उत्पन्न होते हैं जब भवन निर्माण में गलतियाँ हो जाती हैं इन्हें सरल उपायों और सुधारों से दूर किया जा सकता है, जैसे कि रंगों का प्रयोग, दिशाओं का परिवर्तनआदि।
वास्तु दोष और उपाय
वास्तु दोष और उपाय
आधुनिक समय में भी वास्तु शास्त्र की प्रासंगिकता बनी हुई है ताकि यह वर्तमान समय की चुनौतियों को प्रभावी ढंग से सामना कर सके।