Deepak Kumar Saini - Vastu & Geopathy Coach & Expert
दोस्तों आज हम आपको बताएँगे कि श्राद्ध किसे कहते हैं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं?
श्राद्ध के दौरान
श्राद्ध के दौरान
श्राद्ध का मुख्य उद्देश्य पितरों (पूर्वजों) को सम्मान देना और उनकी आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए धार्मिक क्रियाऍं करना है।
परिचय
परिचय
हर व्यक्ति पितृ ऋण के साथ जन्म लेता है जिसे श्राद्ध कर्म करके चुकाया जाता है जिससे पित्तरों की आत्मा को शांति और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम है।
श्राद्ध का महत्व
श्राद्ध का महत्व
श्राद्ध मुख्य रूप से आश्विन माह के कृष्ण पक्ष के 15 दिनों में आता हें जो पूर्वजों की आत्मा तृप्ति के लिए उत्तम है।
श्राद्ध कब करें?
श्राद्ध कब करें?
श्राद्ध में तर्पण (जल अर्पण) और पिंडदान (चावल, तिल से बने पिंड) किया जाता है यह पित्तरों की आत्मा को संतुष्ट करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
श्राद्ध की विधि
श्राद्ध की विधि
श्राद्ध के दिनों में ब्राह्मणों को भोजन कराना, वस्त्र और दक्षिणा देना पित्तरों की आत्मा को तृप्त करता है यह श्राद्ध का एक अहम हिस्सा होता है।
ब्राह्मणों को भोजन
ब्राह्मणों को भोजन
श्राद्ध करने से पित्तरों की आत्मा संतुष्ट होती है और वे अपने वंशजों को सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पित्तरों को आशीर्वाद
पित्तरों को आशीर्वाद
श्राद्ध के समय मांसाहार, मद्यपान और तामसिक भोजन से बचना चाहिए तथायह समय शुद्धता और पवित्रता का होता है।
श्राद्ध के दौरान वर्जित कार्य
श्राद्ध के दौरान वर्जित कार्य
श्राद्ध न केवल एक धार्मिक कर्तव्य है बल्कि यह पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का भी एक विशेष अवसर है।