वट सावित्री व्रत या पूर्णिमा क्या है।
Deepak Kumar Saini B.E. (Civil) Vastu & Geopathy Expert
वट पूर्णिमा को वट सावित्री व्रत भी कहा जाता है, यह भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक हिंदू उत्सव है।
वट पूर्णिमा हिंदू पंचांग के ज्येष्ठ महीने के तीनों 13वें, 14वें और 15वें दिन तक मनाई जाती है।
इस दिन विवाहित महिलाएँ बरगद के पेड़ के चारों ओर कलावा व सफ़ेद धागा बाँधकर अपने पति के लिए अपने प्यार का इज़हार करती हैं।
पेड़ के तने के चारों ओर धागे लपेटे जाते हैं और तांबे के सिक्के चढ़ाए जाते हैं।
तीन दिनों के दौरान, घर के फर्श या दीवार पर एक वट (बरगद) के पेड़, सावित्री, सत्यवान और यम के चित्र चंदन और चावल के लेप से बनाए जाते हैं।
व्रत और परंपरा का कड़ाई से पालन करने से पति की लंबी उम्र और समृद्ध जीवन सुनिश्चित होता है।
व्रत के दौरान, महिलाएं एक दूसरे को "जन्म सावित्री हो" कहकर बधाई देती हैं। ऐसा माना जाता है कि अगले सात जन्मों तक उनका पति हमेशा उनके साथ में रहे।
यह उत्सव महाकाव्य महाभारत में वर्णित सावित्री और सत्यवान की कथा पर आधारित है।
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