निर्जला एकादशी वाले दिन करें ये काम
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते है।
इस व्रत मे पानी का पीना वर्जित है इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते है।
इस दिन निर्जल व्रत करते हुए शेषशायी रूप मे भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व है।
निर्जला एकादशी की कथा सुनने और पढ़ने से सहस्र गौदान, वस्त्र दान, छत्र, फल आदि दान करने का पुण्य प्राप्त होता है।
निर्जला एकादशी का व्रत नर और नारी दोनों को ही रखना चाहिए।
निर्जला एकादशी का व्रत रखने से वर्ष की समस्त 23 एकादशियों का फल प्राप्त होता है।
निर्जला एकादशी के दिन चावल न खाएँ इससे आपको आने वाले समय में स्वास्थ्य संबंधित परेशानियाँ हो सकती हैं।
निर्जला एकादशी के दिन कभी भी तुलसी जी के पौधे को पानी न दें तथा न ही तोड़ें।
निर्जला एकादशी से एक दिन पहले ही तुलसी जी के पौधे का पत्ता तोड़कर रख लेना चाहिए।
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