क्या नज़र लगना सत्य है?

Deepak Kumar Saini - B.E. Civil - Vastu & Geopathy Expert 

केवल  भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया की अलग-अलग संस्कृतियों में यह मान्यता है कि नज़र लगती है।

नज़र केवल जीवित प्राणी को ही नहीं अपितु निर्जीव वस्तु को भी लगती है।

हरेक माँ के लिए अपना बालक बहुत सुंदर होता है तथा उसे कभी भी नज़र न लगे इसलिए उसे हरेक माँ अपने बच्चे को काला टीका लगाती है।

शास्त्रीय दृष्टिकोण के अनुसार हमारी आँखों में एक बहुत बड़ी शक्ति है जिससे शायद हम अनभिज्ञ रहते हैं।

किसी भी वस्तु पर पूरा ध्यान देना और इच्छा शक्ति को प्रबल कर के अपनी आँखों की शक्ति से सामने वाली वस्तु या व्यक्ति पर प्रभाव डालने को ही त्राटक कहा जाता है।

वर्तमान में त्राटक को सिर्फ योग शास्त्र के माध्यम से ही सीखा व करा जा सकता है पर यह हर किसी से संभव नहीं है।

वर्तमान में ज्यादातर लोगों में ध्यान और इच्छा शक्ति को प्रबल करने की ताकत बहुत ही कम है।

लोगों की यह ताकत सिर्फ नज़र लगने तक ही सीमित रह गई हैं जिसमें वो अपने ध्यान और इच्छा शक्ति का उपयोग कर पाते हैं।

इसलिए हम कह सकते हैं कि आज के इस आधुनिक युग में नज़र लगना एक दम सत्य बात है।

क्या मौन रखना लाभदायी होता है?