Depak Kumar Saini B.E. (Civil) Vastu & Geopathy Expert
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है।
पुराणों में वर्णन है कि भगवान विष्णु इस दिन से पाताल में राजा बलि के द्वार पर निवास करके कार्तिक शुक्ल एकादशी को लौटते हैं।
देवशयनी एकादशी को सौभाग्य की एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पद्म पुराण का दावा है कि इस दिन उपवास करने से जानबूझकर या अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।
देवशयनी एकादशी के दिन पूरे मन और नियम से पूजा करने से महिलाओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
देवशयनी एकादशी के दिन कभी भी चावल न खाएँ ऐसा करने पर आपको भविष्य में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ हो सकती हैं।
देवशयनी एकादशी के दिन कभी भी तुलसी जी के पौधे को न छुएँ, न तोड़ें तथा न ही पानी दें।
देवशयनी एकादशी के दिन देवशयनी एकादशी की कथा ज़रूर सुननी व पढ़नी चाहिए।
अगर आप एकादशी वाले दिन तुलसी के पौधे का पत्ता अर्पित करना चाहते हैं तो एकादशी से एक दिन पहले ही तुलसी जी के पौधे का पत्ता तोड़कर रख लें।
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