ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है।
अपरा एकादशी वाले दिन भगवान विष्णु जी के वामन अवतार की पूजा की जाती है।
अपरा एकादशी को उपवास करके भगवान वामन की पूजा से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है।
अपरा एकादशी की कथा सुनने और पढ़ने से सहस्र गौदान का फल मिलता है।
ब्रह्मा हत्या से दबा हुआ, गोत्र की हत्या करने वाला, गर्भस्थ शिशु को मारने वाला, पर निंदक, परस्त्रीगामी भी अपरा एकादशी का व्रत रखने से पाप मुक्त होकर श्री विष्णु लोक में प्रतिष्ठित हो जाता है।
अपरा एकादशी के दिन चावल न खाएँ इससे आपको आने वाले समय में स्वास्थ्य संबंधित परेशानियाँ हो सकती हैं।
अपरा एकादशी के दिन कभी भी तुलसी जी के पौधे को पानी न दें तथा न ही तोड़ें।
अपरा एकादशी से एक दिन पहले ही तुलसी जी के पौधे का पत्ता तोड़कर रख लेना चाहिए।